जब एक बेटी विवाह पश्चात अपने घर को छोड़कर ससुराल आती है, तो उसके लिए उसे अपने आप को पूरी तरह बदलना पड़ जाता है। सही कहा गया है शादी के बाद जीवन बदल जाता है । पर सच में एक बेटी को परिवार हित के लिए क्या कुछ नहीं करना पड़ता, वो सभी दुखों को भी हंसते हंसते सह जाती है, और सूझता से परिवार संभाला करती है।
मेरे कुछ शब्द जो उन तमाम बेटियों के लिए है जो अपने पिता का घर छोड़कर पराया घर को अपना बनाती है। ( NOTE – इसमें उस दृश्य का जिक्र किया गया है जहां एक बेटी विवाह पश्चात ससुराल में खुलकर नही जीती । उस पर कई बंदिशें लगती है। ) यह परिस्थिति कइयों के साथ होता है और कइयों के साथ नही । हर जगह तो नहीं पर ये आज भी यह स्थिति कइयों के साथ होता है ।
भले ही शादी के बाद दुल्हन
घर की चौखट लांघ कर आती है
पर अपने मन से घर को
कभी भुला नहीं पाती है।
अपनी सारी ख्वाहिशें भुलाकर
पराया घर को अपना लेती है
उसके भी कई सपने होते हैं
पर उन्हें वो छुपा लेती है।
नया जगह नया परिवेश
हर काम के लिए घबराती है।
वो सहमी हुई सी रहती है
क्योंकि उसकी आजादी ही चली जाती है।
घर में उन्हें भी सराहना दिया जाए
इसलिए दिन भर काम में लगी रहती है
घर की जिम्मेदारी निभाने के लिए
कभी कभी भूखी रह जाती है।
बाहर से खुश
पर अंदर से दुखी होती है
घर की खुशी के लिए
अपना सुख चैन त्याग देती है।
शौहर को परमेश्वर मानकर
दायित्व का निर्वहन करती है
सुहाग से थोड़ा प्यार मिल जाए
बस यही कामना रखती है।
बड़ी ख्वाहिशें न रख
अक्सर छोटी मुरादें मागती है
हर परिस्थिति में उसे कोई समझे
बस इतना ही तो मांग करती है।
ससुराल में उसकी दुनिया
अचानक से बदल जाती है
उसकी मनोभावना समझ पाए
ऐसा साजन वो चाहती है।
जब पति ही उसे समझ न पाए
तो वो पूरी तरह टूट जाती है
इसलिए मुड़-मुड़कर वो
मायके की ओर देखा करती है।
आखिर कैसे इतने बदलाव
वो अपने जीवन में लाती है
फिर भी वो सुख की भागी
क्यों नहीं बन पाती है।
नारी शक्ति की देख लो ये मिसाल
जो हंसते हंसते हर चीज सह जाती है
पिता की लाडली बड़ी होकर
सूझता से परिवार संभाला करती है।
RESPECT THEM WHO CHANGE THEIR WHOLE LIFE FOR WELFARE OF FAMILY
पिता की लाडली बेटी विवाह से पूर्व अपने पिता के घर में मन मर्जी से रहती थी, जैसे चाहे वो काम कर सकती थी, पर विवाह के पश्चात वो आजादी उससे छीन जाती है। उसे उस पराए घर के अनुसार रहना पड़ता है, हालांकि एक बेटी का असली घर उसके ससुराल को माना जाता है, पर फिर भी वो थोड़ा दब कर रहती है। और जब कभी वो ससुराल से पिता के घर जाती है। तो वो अपने आप को आजाद समझती है ।
आज ऐसी भी स्थिति है कि जहां उन्हें एक ओर खुल कर जीने दिया जाता है तो एक ओर उन पर कई रोक टोक है । कई जगह विवाह पश्चात वो घर की मालकिन बन जाती है। और हुकूमत चलाती है, पर कई जगह उसे अपने सास ससुर के रहते तक दब कर जीना पड़ता है।
एक पिता के बाद उस बेटी का रक्षक उसका पति होता है, वही उसका सब कुछ होता हैं, उसी के साथ अपने सुख दुख बाटती हैं और पति भी इन बातों को अपने मन के अंदर छुपा लेता है। क्योंकि विवाह पश्चात उन दोनो में परिवर्तन आ जाता है, क्योंकि घर की जिम्मेदारी उन्हें साथ रहकर निभाना होता है। दोनो को हर परिस्थिति में एक साथ रहना होता है।
मैने इस कविता में सिर्फ एक बेटी के त्याग, बदलाव का जिक्र किया पर विवाह पश्चात उन दोनों में बदलाव आता है, दोनों की दुनिया बदल जाता है, पर एक बेटी को खुद को पूरी तरह बदलना पड़ता है, अनचाहे काम तक करना पड़ता है, उसे अपने सपनो को भूलना पड़ता है, परिवार हित के लिए उसे स्वयं को बदलना बहुत जरूरी हो जाता है।
ऐसी स्थिति भी सामने आती है कि यदि पत्नी का कोई दोस्त वो भी लड़का हो तो उसे टोका जाता है । ऐसा उससे बात करना किसी को गवारा नही होता । कई बार यही विषय घर में विवाद का विषय होता है ।
कई घरों में शादी के बाद बेटी को सिर्फ घर के कामों में लगा दिया जाता है , उसे यही बता दिया जाता है कि रसोई घर , और घर के अन्य सभी काम उसके हैं । इसके अलावा वो कुछ काम नही कर सकती । यदि वो पढ़ना चाहे तो भी नही कर सकती क्योंकि अब उसके फैसले उसके पति और घर वालों के हाथों में चले जाते हैं । घर के बड़े लोग उसके फैसले लेते हैं ।
कई घरों में यह कहकर ताने दिए जाते हैं कि शादी के बाद तूने अपने साथ लाया क्या था दहेज के लिए प्रताड़ित किया जाता है । यही वो चीज है जिसे सुनकर एक विवाहित बेटी अपने आप को अकेला महसूस करने लगती है और यह सोचती है कि काश मेरा ब्याह यहां नही हुआ होता ।
समय के साथ साथ वो भी स्वयं में बदलाव करती जाती है । और बदलते बदलते इतना बदल जाती है कि वो खुद को ही भूल जाती है । वो घर के सारे काम अकेले करने लग जाती है । अंदर से परेशान होने के बावजूद वो किसी से बिना कहे सारे काम करती है । चाहे उसका तबियत खराब हो चाहे कुछ हो घर के प्रति अपना जिम्मेदारी नही भूलती और सभी चीजें बखूबी निभाती है ।
मैं आपको बता दूं शादी के बाद बेटी को परेशान वाली जिंदगी हर जगह नही मिलती कई फैमिली में देखा जाता है कि वो पढ़ाई भी करती है , या जॉब भी करती है जिसमे पूरा परिवार उसका साथ देता है । यह उस फैमिली में होता है जहां लड़का लड़की को बराबर समझा जाता है , वे यह भेद नही करते कि लड़की है तो घर के ही काम करेगी और लड़का है तो घर के बाहर का काम करेगा वो इस सोच से बाहर होते हैं ।
हमें किसी को भी जबरदस्ती कोई कार्य नही कराना चाहिए उसके रुचियों को भी ध्यान में रखा जाना चाहिए ।
मैं उम्मीद करता हूँ आपको यह कविता अच्छा लगा होगा। आगे आपसे फिर मिलूंगा नई कविता के साथ । तब तक के लिए धन्यवाद ……..।
पढ़ते रहें शब्द मेरे विचार आपके