Human nature के टॉपिक पर आगे बढ़ने से पहले हम उन बिंदुओं पर नजर डालते हैं जिसके बारे में हम आज चर्चा करने वाले हैं –
- मानव प्रकृति से तात्पर्य / Human nature meaning / मनुष्य की प्रकृति क्या है ?
- मानव प्रकृति कहां से आती है
- क्या मानव प्रकृति स्थायी है
- क्या मानव प्रकृति के आधार पर उसका भविष्य तय किया जा सकता है ?
मानव प्रकृति से तात्पर्य / मनुष्य की प्रकृति क्या है ?
Human nature जिसे हिंदी में मानव प्रकृति या मनुष्य की प्रकृति कहते है । मानव प्रकृति से तात्पर्य उसका स्वभाव से है कि वो हर परिस्थितियों में कैसा व्यवहार करता है ।
जैसे मनुष्य प्रेम , दया, भावुकता, क्रोध, द्वेष, लालच, ईमानदारी, अपनी बुद्धि का प्रयोग करना , सही गलत को समझना तथा ऐसे ही विभिन्न भावनाओं को धारण करता है ये सभी मानव की प्रकृति ही है । मानव के ये सभी स्वभाव परिस्थिति के अनुसार नजर आते हैं ।
भले ही मनुष्य की शारीरिक बनावट एक जैसा है पर सभी की अलग अलग प्रकृति होती है । जिसमे कइयों के एक समान भी हो सकते हैं ।
मानव की प्रकृति उसका व्यक्तित्व का विकास करता है उसे एक सर्वगुणों से संपन्न परिपूर्ण मानव बनाता है ।
मानव प्रकृति कहां से आती है
इसे मैं दो तरीके से देखता हूं
1. आनुवंशिक (Genetic) –
एक मनुष्य में जो भी गुण दिखाई देते हैं वो DNA के माध्यम से पैरेंट्स से उसके बच्चों में हस्तांतरित होते हैं । इस तरह से प्रकृति आती है ।
तथा इसका दूसरा आयाम आसपास का वातावरण भी है
2. वातावरण (Environment)–
मनुष्य जिस परिस्थिति में रहता है उसका स्वभाव भी वैसा ही हो जाता है । वो अपने आसपास से सीखते जाता है और उसे अपनाते जाता है ।
मानव जिन जिन चीजों को अपने आसपास होते देखता है उसका प्रभाव उस पर पड़ने लगता है और वो वैसा ही बर्ताव करने लगता है । तो हम कह सकते हैं कि वातावरण भी मनुष्य की प्रकृति को तय करता है ।
क्या मानव प्रकृति स्थायी है
इस प्रश्न में विरोधाभास नजर आता है । प्रकृति का नियम कहता है की समय के चक्र के साथ बदलाव होना स्वाभाविक है वो होता ही है । तो यहां देखना है की क्या मानव प्रकृति समय के साथ बदलती है या नही । इन दोनो पहलुओं का चर्चा करेंगे ।
पहला पक्ष यह है कि मानव प्रकृति स्थायी नही है यह परिवर्तित होते रहता है । समय, अनुभव , परिस्थिति और वातावरण के साथ मानव प्रकृति में बदलाव होते रहता है ।
दूसरा पक्ष यह है कि मानव प्रकृति स्थायी है मानव में बदलाव तो होते है पर एक समय के बाद उसके स्वभाव में स्थायित्व आ जाता है । पहले वह अपने वातावरण से सीखते रहता है , नए नए चीजों का अनुभव करते रहता है इसलिए उसकी प्रकृति बदलती नजर आती है पर बाद में मानव प्रकृति में स्थायीपन आ जाता है फिर मानव उसी प्रकृति के साथ जीवन व्यतित करता है ।
क्या मानव प्रकृति के आधार पर उसका भविष्य तय किया जा सकता है ?
यह प्रश्न मुझे मेरे एक मित्र ने पूछा कि क्या मानव प्रकृति के आधार पर उसका भविष्य तय किया जा सकता है ? तो उसका जवाब भी मैं इसी के माध्यम से दे रहा हूं ।
पहले तो ध्यान देने की बात यह है की यहां भविष्य को किस संदर्भ से देखना है । यदि भविष्य को व्यक्ति की सफलता से देखा जाता है तो इसका जवाब मेरे पास है ।
मेरा यह मानना है कि मानव प्रकृति को भविष्य निर्धारित करने वाला एकमात्र तत्व नहीं कहा जा सकता पर इस बात को भी नहीं नकारा जा सकता कि वो भविष्य में सफलता पाने का एक आयाम भी है ।
हम जानते हैं कि हम सब एक समान हैं परंतु हमारा सोचने का , और किसी चीज को देखने का नजरिया अलग अलग है । किसी को कोई चीज सही लगता है तो किसी को वही चीज गलत लगता है । इस नजरिए के हिसाब से देखें तो मानव प्रकृति को दो भागों में बांटा जा सकता है – अच्छा और बुरा ।
लोग दोनो को अपने अपने नजरिए में सफल मानते हैं तथा दूसरे को गलत मानते हैं । कोई अच्छे रहते हुए सफल होते हैं तो कोई बुरा रहते हुए सफल होते हैं । पर सफल दोनो ही होते हैं ।
प्रकृति मानव की व्यक्तित्व का विकास करता है । वो क्या करता है , क्या करेगा ये सब को निर्धारित करने में अहम भूमिका अदा करता है । कहीं भी देख लो लोग आपसे तभी मिलना या आपसे बात करना पसंद करते हैं जब आपका व्यक्तित्व / व्यवहार उसको प्रभावित करता है ।
चलो इसे एक उदाहरण से समझते हैं – एक बड़ा अधिकारी है जो बड़े पद पर आसीन है यदि उसका व्यवहार अच्छा ना हुआ तो लोग उससे मिलना तो दूर बात करना भी पसंद नहीं करेंगे । लोग उसे पीठ पीछे गालियां भी देंगे ।
यदि उसका स्वभाव अच्छा होता है तो लोग उससे मिलकर काम करना पसंद करेंगे । वो अपने सीनियर से खुश रहेंगे और कार्य में अपना सत प्रतिशत देंगे , कार्य उत्पादी होगा ।
यदि आप लोगों के नजरों में अच्छे हो तो लोग आपसे प्रभावित होंगे और आपको सफलता की सीढ़ी चढ़ने में मदद करेंगे । आपका स्वभाव किसी को प्रेरणा दे सकता है ,या किसी के जीवन को बदल भी सकता है । आपका अच्छा स्वभाव आपको नैतिकता , मानवता के रास्ते आंतरिक सुख / अंतरात्मा की सुख तक ले जाता है ।
निष्कर्ष
तो यहां हम देख सकते हैं कि मानव प्रकृति से भविष्य का अनुमान लगाया जा सकता है कि वो भविष्य में कैसे होगा क्या काम करेगा पर समय के साथ उसमे बदलाव भी हो सकता है । इसके अलावा उसके पास मुख्य रूप से शिक्षा , अवसर , संसाधन , जीवन प्रत्याशा , साहस होना चाहिए । ये सभी मिलकर किसी के जीवन को सफल बनाते हैं ना कि सिर्फ मानव की प्रकृति ।
इस बात का कोई फर्क नहीं पड़ता की उसका वर्तमान प्रकृति कैसा है पर इस बात से जरूर फर्क पड़ता है की वो जब सफल होता है तो उसका स्वभाव कैसा होता है । तो सफलता प्राप्ति में मानव प्रकृति तो अपना भूमिका अदा करता है पर साथ में अन्य कारक भी इसमें अपना योगदान देते है , मानव की प्रकृति तो बस एक छोटा हिस्सा मात्र है ।
NOTE
यह लेखक का व्यक्तिगत विचार है आपको पसंद ना आए तो इसे नकार सकते हैं ।