आपने लोगों को अक्सर कहते हुए सुना होगा कि मेरे Jeewan Ka Adarsh वो है पर क्या यह स्थायी होता है ? Kya Kisi Ko Apne Jeewan Ka Adarsh Banana Chahiye ? कई लोग किसी एक व्यक्ति को अपना आदर्श मानकर जीवनभर उसका अनुकरण करते हैं और उनके हर बातों का अनुपालन करते हैं परंतु क्या यह सही है ?
किसी को अपना आदर्श बना लेने के बाद वो हर बात को बिना सोचे समझे मानने लगता है , तार्किक विचार विमर्श नही करता उसे उसकी गलती में भी सही नजर आने लगता है । यह वो स्थिति है जहां अनुकरणकर्ता किसी भी स्थिति में अपने आदर्श की बुराई सुनना पसंद नहीं करता / सुनना नही चाहता । वह सबसे सर्वोपरि , वही सत लगने लगता है ।
यह समझने से पहले कि Kya Kisi Ko Apne Jeewan Ka Adarsh Banana Chahiye ?इससे संबंधित कुछ अन्य बिंदुओं को भी देखते हैं फिर आगे बढ़ते हैं –
- आदर्श का अर्थ
- आदर्श व्यक्ति कौन होता है
- आदर्श व्यक्ति के गुण
आदर्श का अर्थ
आदर्श जिसे इंग्लिश में Ideal कहते हैं , उसे हिंदी में प्रतिमान , प्रतिरूप , नमूना , मानक जैसे शब्दों से भी जाना जाता है ।
आदर्श मतलब वह प्रतिमान जो अनुकरणीय या ग्रहण करने योग्य होता है । यह श्रेष्ठतम की अवस्था होती है ।
आदर्श व्यक्ति और आदर्श लगभग एक समान है बस अंतर इतना है एक विचार है तो एक व्यक्ति विशेष , परंतु दोनो अनुकरणीय हैं ।
आदर्श व्यक्ति कौन होता है
आदर्श व्यक्ति वह होता है जो अपने जीवन में सीखते हुए अपने आप को परिष्कृत कर लिया हो । अपने व्यक्तित्व में इस तरह का समावेश किया होता है जो लोगों को प्रभावित करता है , लोगों को प्रेरणा देता है , अन्य लोगों से भिन्न बनाता है । आदर्श व्यक्ति भी पहले एक सामान्य व्यक्ति होता है पर वह अपने आप को परिष्कृत करते हुए श्रेष्ठतम की अवस्था को प्राप्त करता है , और आदर्श व्यक्ति बन जाता है ।
आदर्श व्यक्ति के गुण
- आदर्श व्यक्ति सदैव सत्य का साथ देता है
- ईमानदार रहते हुए अपना कर्तव्य ईमानदारी से करना पसंद करते हैं
- अपनी बातों पर अडिग रहते हैं , अपने वचनों से विचलित नहीं होते
- दूसरों की मदद करते हुए आंतरिक सुख की अनुभूति करते हैं
- अपने लक्ष्य को पाने की हर संभव प्रयास करते हैं
- चिंतनशील होते हैं
- अपनी गलतियों पर निरंतर कार्य करते हैं , और उसमे सुधार करते हैं
- अनुकरणीय व्यक्तित्व होता है , जो लोगों को आकर्षित, प्रभावित करता है , और सदैव प्रेरणा देता है
- अपना जीवन कल्याणकारी कार्य करने के लिए समर्पित करता है
- लोगों , समाज का कल्याण करता है
प्रेम, दया, करुणा, बुद्धि , से सुसज्जित होता है - मदद करने का खूबी होता है
- लोगों का समस्या नही समाधान बनता है
बड़ों के प्रति सम्मान और छोटों के लिए स्नेह की भावना रखता है - उसका व्यक्तित्व लोगों को प्रेरित करता है , उत्साह और जोश से भर देता है
- समाज की उत्थान की बात करता है
- अपने दोषों या अवगुण को दूर करने की क्षमता होता है
और भी होंगे परन्तु मैने बस इतना ही समझ पाया हूं ।
Kya Kisi Ko Apne Jeewan Ka Adarsh Banana Chahiye ?
वे बिंदू जिसे हम आगे चर्चा करेंगे –
- आदर्श ना बनाने के पक्ष में तर्क
- आदर्श बनाने के पक्ष में तर्क
- अपना आदर्श हम स्वयं बन सकते है
हम मानव भले ही एक समान है परंतु हमारी सोच और समझ अलग अलग है । और उसी तरह मेरा भी सोच और समझ है ।
और मैं किसी को अपना आदर्श बनाने के पक्ष में नहीं हूं ।
आदर्श ना बनाने के पक्ष में तर्क
मुझे लगता है कि किसी एक को अपने Jeewan Ka Adarsh बनाकर उसका अनुकरण करना उचित नहीं है । क्योंकि जब हम किसी को पूरे दिल से मानने या पसंद करने लगते हैं तो उसे हम नकारात्मक दृष्टि से देखना पसंद नहीं करते और हमें उसकी अच्छी बातें ही दिखायी देती है ,उसकी बुराई नजर नही आती । किसी के प्रति इतना ज्यादा समर्पण देने लगते हैं कि हम स्वयं अपना आत्मसम्मान खोने लगते हैं अपना अस्तित्व हमसे छिनता जाता है ।
हमें किसी के प्रति इतना समर्पण भाव भी नहीं रखना चाहिए कि हम कहीं अपना वजूद ही खो दें । यह संतुलन में होना चाहिए । हम कभी कभी किसी को इतना महत्व दे देते हैं जितना नहीं देना चाहिए , हमें लगता है कि वो मेरे लिए जरूरी है वो है तो मैं हूं वही सब कुछ है पर वास्तव में ऐसा नहीं होता वो उतना भी हमारे लिए जरूरी नही होता ।
जब किसी को अपना आदर्श बनाकर चलते हैं तो एक ऐसी स्थिति भी आता है जहां अंदर से एक अजीब सा अहसास होता है वो कहता है कि – क्या सच में मैं हूं ? क्या मेरा अस्तित्व है ? क्या मैं उसके बिना सच में अधूरा हूं ……… ऐसे कई प्रश्न उभर कर सामने आते हैं ।
इसका दूसरा पक्ष भी है जो कहता है कि यदि हमें किसी को आदर्श बनाना चाहिए ।
अपना आदर्श बनाने के पक्ष में तर्क
यदि आप किसी को अपना आदर्श बनाते हो तो जब आप अपने जीवन में भटक जाओगे, आपको समझ में नही आ रहा होगा कि क्या करें , अपने जीवन से नाराज हो, तो उस समय आपका आदर्श आपको प्रेरित करेगा , उत्साह और जोश से भर देगा अपने जीवन में निरंतर आगे बढ़ने को कहेगा ।
आप अपने आदर्श में अपनी खुशी को तलाशोगे मतलब वो आपके खुश होने का माध्यम होगा । आप उनके व्यक्तित्व से प्रभावित होगे और वैसा ही करने का प्रयास करोगे । आपके अंदर एक प्रतिमान वाली व्यक्तित्व का विकास होगा , आप अपने आप को परिष्कृत करने का प्रयास करोगे । जो कि आपके लिए लाभदायक होगा ।
व्यक्ति उसे ही अपना आदर्श चुनता है जिसके पास वो व्यक्तित्व है जो अपने अंदर चाहता है , वो भी वही सोच विचार रखता है जो वह स्वयं सोचता है ।
अपना आदर्श हम स्वयं बन सकते है
मेरा यह मानना है कि जीवन में किसी को अपना आदर्श बनाकर चलने की बजाय उन सभी गुणों को धारण करने का प्रयास करना चाहिए जो एक आदर्श व्यक्ति में होता है, जो आपको श्रेष्ठतम की अवस्था तक ले जाए ।
सभी से हमें कुछ ना कुछ सीखने को मिलता है । तो नैतिक चीजों को सीखते हुए सभी से अच्छे गुणों को सीखकर स्वयं को एक परिपूर्ण मानव बनाने का प्रयत्न करना चाहिए फिर किसी भी व्यक्ति को, दूसरे व्यक्ति को अपना आदर्श बनाना नहीं पड़ेगा ।
हमारा जीवन हमें वो सब सीखा देती है जो कोई दूसरा हमें सीखा नहीं पाएगा । मैं आज भी अपनी परिस्थिति को कोसता नही हूं उसे सहर्ष स्वीकार करता हूं क्योंकि मेरे जीवन का सबसे बड़ा गुरु परिस्थिति ही है वो समय आने पर सब कुछ सीखाता है । इसने मेरे जीवन में ऐसे मूल्य का समावेश किया है जो मुझे आगे बढ़ने के लिए प्रेरित करता है ।
हमारा जीवन , हमारी परिस्थिति हमें सब कुछ सिखाती है बस उसे देखने का नजरिया चाहिए यकीन मानो जब आप अपने जीवन का अवलोकन करने लगोगे तो आपके सभी प्रश्नों का जवाब स्वतः आपको मिल जायेगा ।
इस प्रकार हम स्वयं के जीवन से सीखते हुए , खुद को परिष्कृत करते हुए, श्रेष्ठतम की अवस्था को प्राप्त करते हुए अपना आदर्श हम स्वयं बन सकते हैं ।
NOTE
इसमें कही गई बातें मेरा व्यक्तिगत विचार है आप इसे चाहे स्वीकार या अस्वीकार कर सकते हैं । आप अपना विचार मुझे कॉमेंट सेक्शन में साझा कर सकते है , आप अपना व्यक्तिगत विचार रखे और इससे प्रभावित न हो ।