यह ब्लॉग पोस्ट आपको सटीकता और विस्तार के साथ गलती के बारे में जानकारी प्रदान करेगी ताकि आप जीवन में गलतियों से बच सकें और सफलता की ओर अग्रसर हो सकें।
गलतियां करने से हर कोई डरता है पर कोई भी गलती करने से बच नही पाया है । हर कोई गलती करता है, पर उस गलती को कोई स्वीकारता है तो कोई उसे जानते हुए भी की ये गलत है वो गलती नहीं स्वीकारता है।
ऐसा क्या है जो एक आदमी अपनी अंतरात्मा की बात नहीं सुनता, उसकी आत्मा कहेगी की हां गलती हुई है। उसे सत्य का आभास होगा पर वो उसे अपने जुबान से बोल नहीं पाता है आखिर क्यों ?
गलती छोटा या बड़ा नहीं होता, गलती तो गलती होता है। लोगो का देखने का नजरिया ही ऐसा है की वो गलतियों को भी छोटे बड़े में विभाजित करते है और यही वजह है कि आज छोटी सी गलती को नजर अंदाज करने के चलते बड़ी सी बड़ी गलतियों को बढ़ावा दिया जाता है।
अगर छोटी सी भी गलती को गंभीरता से लिया जाता उसे सुधारा जाता तो बड़ी गलतियां होती ही नहीं यानी की अगर गलती को गलती ही माना जाता तो इस छोटी बड़ी गलती में भेद न होता और लोगों में बनी गलतियों से ना डरने का अवधारणा ना होता, और लोग गलती करने से बचते उसके दुष्परिणाम से डरते ।
असल में गलती क्या है
एक बार गलती करने पर दोबारा वही गलती करना, सही गलत का अंदाजा ना लगाना, सत्य को जानकर भी उससे अनजान रहना, अपने अंतरात्मा की सत्य का आवाज ना सुनना असल में गलती होता है।
गलती का प्रकार
गलती का प्रकार कहना उचित नही है इसे आप गलती के क्षेत्र या उदाहरण कह सकते हैं
- गलती जो आप अनजाने में करते हो, चाहे वो कुछ भी हो
- गलती जो जानबूझकर रणनीतिक रूप में करते हो
- सत्य का साथ ना देना
- सही गलत में फर्क ना कर पाना
- Exam में प्रश्न को ध्यान से न पढ़ना और उत्तर लिखना
- किसी के दिल को ठेस पहुंचाना
- किसी के भावनाओं के साथ खेलना
- किसी प्लान की strategy में गलती
- किसी को क्रोध में थप्पड़ मार देना
इत्यादि ….. इसका क्षेत्र बड़ा है । सभी क्षेत्रों में होता है – शिक्षा , मेडिकल , राजनीति , गृहस्थी, समाज , टेक्नोलॉजी , मैन्युफैक्चरिंग , कंस्ट्रक्शन , उद्योग, आदि ।
सोचो तो आपको गलती ही गलती मिलेगा । और ना सोचो तो सब चीज सही लगेगा ।
गलती का उद्देश्य
क्या आप कोई कार्य अच्छे से नही करते, या सावधानियां नहीं बरतते, या उस चीज को करने से पहले सोचते नही। ऐसे कई जवाब होंगे आपके पास परंतु गलती का भी एक उद्देश्य होता है वो आपको यथार्थ सत्य से परिचय कराना चाहता है। वो आपको जीवन का मार्ग प्रशस्त करता है। आगे बढ़ने के लिए आपको सही गलत का भेद बताता है परंतु ये सब सोचना आपके ऊपर है की आप अपना विवेक का प्रयोग कैसे करते है।
गलती व्यक्ति को सीख देता है, उसे आगे बढ़ने में मदद करता है वही गलती दोबारा न करने के लिए आपकी आत्मा को सही गलत का आभास कराता है । गलतियां करना भी लोगों के लिए अच्छा है, उसका जीवन में बहुत महत्व है।
जब गलतियां होता है तो दर्द तो होता है, परंतु यही गलतियों का समूह बाद में अनुभव कहलाता है, जो जीवन में सफलता का कारण बनता है, जो हमें कामयाब होने के लिए अग्रसर करता है ।
गलती पीड़ा नही सीख देती है
बेशक गलती हो जाने के बाद कइयों को उस बात का दुख होता है और कइयों को इस बात का कोई फर्क नही पड़ता।
उदाहरण के रूप में देखे तो – जब कोई व्यक्ति नौकरी की रेस में कुछ नंबर से चूक जाता है तो उसे बहुत तकलीफ होती है फिर वह सोचने लगता है उससे गलती कहां हो गई जो इस रेस से बाहर हो गया । यहां गलती उसे सुधार करने की सीख देती है , और जिस कारण से वह चूक गया उस पर काम करने को कहती है ।
जब कोई व्यक्ति अपनी लाइफ से संबंधित फैसले लेने में गलती करता है तो भी उसे काफी तकलीफ होती है । फिर वह जीवन भर यही सोचता है कि काश वो गलती नही हुई होती ।
परंतु नियति को कौन टाल सकता है वो होकर रहता है , और साथ में एक मैसेज लेकर आता है । ऐसी गलती दुबारा ना करने को कहता है , ऐसी परिस्थिति में फैसले कैसे लेना है सीखाता है , भविष्य के फैसलों से चेताता है , अपनी सूझ बूझ को सही करने को कहता है , अपने निर्णय लेने के तरीकों में सुधार की सिफारिश करता है ।
इसलिए मैं कहता हूं गलती संदेश लेकर आता है , बेशक गलती होने से पीड़ा होती है पर वो सीख देकर जाती है जो हमारे बेहतर कल के लिए महत्व रखता है ।
गलती हो जाए तो क्या करें
जब तक गलती करने से डरोगे तब तक कुछ नहीं कर सकते । जो मन में सोचा है कुछ करने का उसे करने पर ही पता चलता है की सही क्या है और गलत क्या है। जब गलती होता है तो दर्द तो होता है पर जब तक गलती नहीं करोगे तब तक सीखोगे नहीं अगर आप स्वयं से झूठ नही बोल सकते तो, आपको ग्लानि भी होगा, या कहें आपको अफसोस होगा।
कोई भी गलती जाने अंजाने में ही होती है, तभी तो उसे भूल कहते हैं, अगर आपको अपनी गलती का आभास होता है, तो आप उसे जरूर स्वीकारें, उसे छुपाए ना अगर किसी कारण आप अपनी गलती किसी से कह नहीं पाते तो आप स्वयं से उसका पछताप करिए और उस सत्य से रूबरू होकर उसे सहज स्वीकार करिए। यकीन मानिए ये आपके जीवन के लिए जरूरी है, इसका बहुत महत्व है, यह आपको जीवन में आगे बढ़ने के लिए मदद करेगा ।
अंत में एक लाइन और कहता हूं की आप स्वयं से तो झूठ बोल लोगे पर चाहे आप कितना भी कोशिश करलो अपनी अंतरात्मा को कभी झूठ नहीं बोल पाओगे वो सब कुछ जानता है । वो सब जानता है तुम कहां सही हो और कहां गलत ।
धन्यवाद