Hareli Tihar ( हरेली तिहार ) – Chhattisgarh का पहला त्यौहार

 

Hareli Tihar ( हरेली तिहार ) क्या है

Hareli तिहार छत्तीसगढ़ में छत्तीसगढ़ अंचल का पहला पर्व के रूप में मनाया जाने वाला प्रकृति के प्रति प्रेम और समर्पण का पर्व है जिसे बड़े ही हर्षोल्लास के साथ मनाया जाता है । हरेली शब्द से ही समझ आ रहा है कि यह हरियाली का उत्सव है ।

आषाढ़ , सावन माह में बारिश होने के कारण सभी ओर हरियाली छा जाती है और किसान द्वारा बोयी गई धान भी लहलहा उठती है । इसलिए प्रकृति को अपना कृतज्ञता व्यक्त करते हुए यह  हरेली तिहार मनाया जाता है । Hareli विशेष रूप से किसानों के द्वारा मनाया जाता है , लेकिन इसमें अन्य सभी लोग भी शामिल होते हैं । इस प्रकार यह पर्व प्रकृति प्रेम को प्रदर्शित करता है । बस्तर क्षेत्र की जनजातियां हरेली पर्व को अमुस तिहार के रूप में मनाते हैं ।

Hareli Tihar image
छत्तीसगढ़ का पहला त्यौहार हरेली

 

Hareli तिहार कब मनाया जाता है

किसान द्वारा आषाढ़ माह में धान की बुवाई करने के बाद वह उम्मीद करता है कि उसकी फसल अच्छी होगी । जब धान थोड़े बड़े हो जाते हैं तो उसमे बियासी की जाती है । बियासी धान की खेती का अंतिम चरण है जिसमें जब धान छोटे छोटे पौधे के रूप में बड़ा हो जाता है तो खेत में हल चला दिया जाता है ताकि धान का पौधा सभी ओर बराबर वितरित हो जाए कहीं कम ज्यादा ना रहे , और खेत भी बराबर हो जाए कहीं गड्ढा या ऊंच ना रहे ।

बियासी के बाद खेती का सभी कार्य पूर्ण हो जाता है । फिर किसान खेती में उपयोग की गई समस्त औजारों जैसे – नांगर (हल) , गैंती , कुदाडी़ , रापा (फावड़ा) को खेती में योगदान देने के लिए धन्यवाद अर्पित करते हुए यह हरियाली का उत्सव सावन माह के अमावस्या को मनाया जाता है । सावन माह मतलब जुलाई – अगस्त का महीना ।

Hareli तिहार क्यों मनाया जाता है

एक किसान अपने आप को तभी सफल मानता है जब उसके द्वारा उगाया गया अनाज उसे अच्छी पैदावार दे और अच्छी पैदावार तब होगी जब फसल सुरक्षित रहेगा , स्वस्थ रहेगा , अच्छे से विकसित होगा । और इस अच्छी फसल को उगाने के लिए भी साधन लगते हैं जिसके बिना खेती नही की जा सकती ।

इसलिए किसान बियासी के बाद खेती के दौरान उपयोग में लायी गई साधनों / औजारों को खेती में सहयोग हेतू कृतज्ञता व्यक्त करना चाहता है । इसलिए खेती के औजारों को धन्यवाद अर्पित करने के लिए सावन अमावस्या के दिन हरेली का त्यौहार मनाता है और अपने कुल देवता , ग्राम देवी की पूजा करते हुए अच्छी फसल की उम्मीद करता है , फसल की सुरक्षा की कामना करता है । कई जगह देवी कुटकी दाई की भी पूजा अर्चना की जाती है ।

Hareli तिहार में क्या किया जाता है

हरेली तिहार के दिन विभिन्न गतिविधियाँ की जाती है जिसमे बच्चे, महिलाएं , पुरुष सभी भाग लेते हैं । हरेली तिहार में निम्न चीजें की जाती है –

 

  • पूजा स्थान जहां पर औजारों की पूजा होनी है वहां पर तथा घर के आंगन में लाल मुरूमी मिट्टी डाला जाता है जिसमें थोड़े बड़े बड़े कंकड़ होते हैं
  • पशुधन को वर्षा जनित बिमारी / रोग से सुरक्षित रखने के लिए बैगा द्वारा तैयार की गई औषधि को चावल आटे में मिलाकर उसमे थोड़ा नमक डालकर खम्हार के पत्ते में लपेटकर दइहान जाकर खिलाया जाता है । यह औषधि जंगल से लायी गई जड़ी बुटी से बनाया जाता है ।
  • चावल का चीला (गुड़ का) बनाया जाता है जो कि विशेष रूप से पूजा के लिए ही बनाया जाता है । इस चीले को पूजा के दौरान कुल देवता , ग्राम देवता को अर्पित किया जाता है साथ ही खेत में जाकर उसकी और प्रकृति की पूजा की जाती है और अच्छी फसल की कामना की जाती है ।
  • छत्तीसगढ़ के कई क्षेत्रों में गेंहू खेत की मिट्टी से कुल देवता को छाब (छत्तीसगढ़ी शब्द) दिया जाता है । या कहें कुल देवता को मिट्टी का लेप लगाया जाता है ।
  • कृषि औजारों जैसे – नांगर (हल) , गैंती , कुदाडी़ , रापा (फावड़ा) , टंगिया आदि को धन्यवाद देते हुए पूजा की जाती है ।
  • ग्रामीण अंचल के बच्चे बांस के बने गेंड़ी पर चढ़कर चलते हैं और आपस में प्रतियोगिता भी करते हैं । गेंड़ी से चलने का परंपरा लोगों को बहुत रोमांचित करता है । लड़कियां भी खो – खो जैसे खेल को खेलते हुए आनंद लेती है ।
  • इस दिन ग्रामीण क्षेत्रों में नारियल फेंक प्रतियोगिता , गेंडी दौड़ प्रतियोगिता , कबड्डी प्रतियोगिता का भी आयोजन किया जाता है ।
  • चूंकि इस समय वर्षा के कारण जीवाणु विषाणु कीटाणु का प्रभाव अधिक होता है इसलिए राउत जाति के लोगों द्वारा नीम की टहनी घर के आंगन में खोंचा (लगाया) जाता है । क्योंकि नीम अपनी कड़वाहट के कारण कीटनाशक के तौर पर काम करता है और बरसात में पनप रहे कीटाणु , कीड़े – मकोड़े को नष्ट करने में सहायक होता है ।
  • खेतों में भेलवा की टहनी की लगाया जाता है
  • छत्तीसगढ़ में हरेली तिहार तंत्र मंत्र , जादू टोने से भी जुड़ा है । लोगों का विश्वास है कि सावन अमावस्या की रात को अनिष्ट शक्ति का प्रकोप होता है इस दिन यह अनिष्ट शक्ति बहुत ताकतवर हो जाती है, जिसे टोनही के रूप में भी लोग जानते हैं , जिसके प्रभाव से बचने के लिए लोहार जाति के लोग घर घर जाकर घर के चौखट पर लोहे की नुकीला कील जिसे पाती कहते हैं उसे ठोका जाता है । और यह भी कहा जाता है कि बैगा गांव की सुरक्षा के लिए गांव को तंत्र मंत्र से बांधता है ताकि अनिष्ट शक्ति किसी को हानि ना पहुंचा सके ।
  • इस दिन बुरी शक्ति / अनिष्ट शक्ति से बचने के लिए महिलाएं घर के दीवार पर गोबर से प्रेत का चित्र बनाते हैं । जिसे सवनाही कहा जाता है । लोगों का मानना है कि ऐसा करने से अनिष्ट शक्ति उनको नुकसान नही पहुचायेगी ।

नोट
हरेली और हरेला त्यौहार में अंतर है हरेली त्यौहार छत्तीसगढ़ में सावन अमावस्या को मनाया जाता है , वहीं हरेला उत्तराखंड राज्य में मनाया जाता है ।

 

FAQs

 

1. Hareli Tihar 2024 कब है ?

4 अगस्त 2024 को इस वर्ष का हरेली मनाया जायेगा जिस दिन सावन अमावस्या है ।

 

2. Hareli festival किस राज्य में मनाया जाता है ?

Hareli festival छत्तीसगढ़ में मनाया जाता है , इसे छत्तीसगढ़ अंचल का पहला पर्व के रूप में हर्ष और उल्लास के साथ मनाया जाता है

 

3. Hareli festival क्यों मनाया जाता है ?

खेती के दौरान उपयोग की गई औजारों को धन्यवाद अर्पित करने के लिए सावन अमावस्या के दिन हरेली का त्यौहार मनाता है ।

 

Leave a Comment

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Scroll to Top