Overthinker मीनिंग इन हिंदी
Overthinker जिसे हिन्दी में अतिविचारक कहते हैं , वह व्यक्ति होता है जो अत्यधिक सोचता है । जब वह किसी विषय या घटना के ऊपर सोचने लगता है तो वह सोच की गहराई में जाते हुए कल्पना की दुनिया में चला जाता है वो अपने कल्पना में खोया रहता है खुद से बातें करता है स्वयं प्रश्न करेगा और स्वयं उसके उत्तर की तलाश करता है और उसका विश्लेषण करता है ।
यह सब करना ओवरथिंकिंग कहलाता है । ऐसा नहीं है कि वह बेफिजुल की बातें सोचता है वो तो बस उस विषय के पक्ष विपक्ष , सही गलत को जानने का प्रयास करता है पर वह इसे अनियंत्रित तरीके से अंजाम देता है जिससे उसको ही परेशानी / तकलीफ होती है
ओवरथिंकिंग मीनिंग इन हिंदी /ओवरथिंकिंग का मतलब
ओवरथिंकिंग का मतलब किसी बात को लेकर लगातार उसके बारे में सोचते रहना । उस बात /चीज को लेकर बेवजह घंटो सोचते रहना और जो चीज हुआ नही उसकी कल्पना करना । उन परिस्थितियों में खुद को रखकर देखना और उसके विभिन्न पहलुओं को सोचना । यह नाकारात्मक और सकारात्मक दोनो हो सकता है ।
ओवरथिंकिंग की बीमारी क्या है ?
सबसे पहले आपको ये बता दूं कि ओवरथिंकिंग करना कोई बीमारी नही है , ये तो विचारों का निरंतर प्रवाह है । जब तक विचारों पर अंकुश नहीं लगेगा , मन में वही चीज बार बार चलता रहेगा ।
ओवरथिंक करना कोई नाकारात्मक गुण नही है , कई लोग इसे नाकारात्मक तरीके से देखते हैं । ओवरथिंक करना समस्या नही है बल्कि उसको नियंत्रित ना कर पाना समस्या है ।
ओवरथिंकर की खासियत यह है कि वह अपने आस पास हो रहे सभी चीजों को गहराई से समझने का प्रयास करता है , उसका अवलोकन क्षमता बहुत अच्छा होता है जिस कारण वह अच्छा अथवा सही परिणामों तक पहुंच सकता है ।
कैसे पता चलेगा कि आप एक ओवरथिंकर है
चलो मैं आपकी सहायता करता हूं
1. यदि आपको किसी ने कुछ कह दिया तो आप उस चीज को बार बार अपने मन में दोहराते रहते हो उसको इतने बार सोच लेते हो कि आपको बुरा लगने लगता है । आप यह सोचने लग जाते हो कि उसने कैसे मुझे यह बोल दिया , उसे ऐसा नहीं बोलना चाहिए था उसके लिए मन में अलग ही धारणा बना लेते हो तो आप एक ओवरथिंकर हो ।
यदि यही किसी अन्य व्यक्ति के साथ होता जो अतिविचारक ना हो तो वह इसे जल्द भूल जाता है , कुछ नही होता बोल आगे बढ़ जाता है ।
2. यदि आप ऐसी घटना को लेकर सोचते रहते हैं जो आपके साथ हुआ ही न हो – आप होने या न होने की परिस्थितियों में अपने आप को रख कल्पना करने लगते हैं जिसका वास्तविक दुनिया में कोई वजूद ही नही है तो आप एक ओवरथिंकर हैं ।
3. कई बार जो introvert होते हैं वो overthinker भी होते हैं । वो किसी को अपनी मन की बातें बता नही पाते तो स्वयं से वही बातें करने लगते हैं और उस विषय पर चिंतन करने लग जाते हैं ।
4. कभी कभी overthinker एक बात को कई घंटो तक सोचते रहते हैं या कई बार पूरे दिन भर या फिर कई दिनों तक भी सोचते रहते हैं ।
Overthinker दिल के अच्छे
Overthinker दिल से बहुत अच्छे होते हैं वो हर चीज को दिल से सोचते हैं , फैसला भी अपने दिल से लेते हैं इसलिए जब कोई उनके भावनाओं के साथ खिलवाड़ करता है तो वो सह नही पाते हैं । उससे उनको बहुत तकलीफ होता है और इन तकलीफों के लिए वो स्वयं को जिम्मेदार ठहराता है । Overthinker भावनाओं को बहुत ज्यादा महत्व देते है ।
Overthinker भूलता नही
जब overthinker को कोई चीज ठेस पहुंचाता है चाहे वो किसी की कोई बात हो, तो वह उसे हमेशा याद रह जाता है उसे वो कभी नही भूलता है भले ही उसे ठेस पहुंचाने वाला भूल गया हो । वो इसलिए यह चीज उसे याद रह जाती है क्योंकि किसी ने उसके दिल को चोट पहुंचाया है , जिसे वो बार बार सोच सोचकर अपने जेहन में यह चीज उतार लेता है । जिसे वो कभी भूलता नही ।
Overthinker का लगाव /प्यार
Overthinker का यदि किसी से लगाव है, किसी पर बहुत ज्यादा विश्वास करता है तो वह उससे अपने मन की सारी बातें करता है । जो वो किसी से बातें साझा नहीं करता वो सब उससे साझा करता है । किसी के साथ उसका लगाव हो जाए तो वो उसका ख्याल रखना चाहता है , उसे खुश देख खुद खुश होता है । हरदम उसके साथ होने का कल्पना करता है , और फिर उसके साथ होने का सपना देखता है ।
वे बहुत जल्द किसी पर भी विश्वास करने के लिए तैयार हो जाते हैं । ऐसा नहीं है कि उनका सही व्यक्ति के चयन में खराबी है बल्कि वो नरम दिल होकर सभी पे भरोसा कर उन्हे एक मौका देता है खुद को बताने के लिए । यही कारण है कि उनके साथ विश्वास घात होने पर वो खुद को इसका कारण समझने लगते हैं कि मैं क्यों उस पर विश्वास किया इस तरह से overthinker को ही तकलीफ होता है ।
ओवरथिंकर को हमेशा से ही अपने जैसे ही व्यक्ति की तलाश होती है जो उसे समझ पाए उसके भावनाओं की कद्र करे और जब उसे ऐसा कोई मिलता है तो उसका लगाव उसके प्रति बढ़ जाता है और फिर वह expectation भी करने लगता है ।
ओवरथिंकर यह भी expect करने लगते हैं कि लोग उसके साथ वैसा ही व्यवहार करें जैसा वो दूसरों के साथ करता है । वो यदि किसी को पसंद या प्यार करते हैं तो बहुत ज्यादा प्यार करते हैं , अधिक देखभाल , अधिक लाड़ प्यार करते हैं ।
Overthinker का गुस्सा
यदि वो किसी से नफरत करते हैं तो बहुत खतरनाक तरीके से करते हैं , छोटी सी बात को लेकर भी उसे अपना दुश्मन समझ लेते हैं क्योंकि यहां पर उनकी ego hurt होती है । वो उससे अधिक क्रोधित होते हैं । यदि वो उसके सामने से गुजरे तो मुंह फेर लेते हैं । वो अपनी दुश्मनी निभाने के लिए कोई कसर नहीं छोड़ते हैं । वो उसे चाहकर भी इग्नोर नही कर पाता है , और चाहता है कि वह उसके सामने झुक जाए ।
Overthinking के नुकसान
- अच्छे रिश्ते भी खराब हो जाते हैं
- लोगों से दूर होने लगते हैं ,
- अकेलापन पसंद करते हैं
- खुद को बेहतर समझकर बाकि को बेकार समझते हैं
- मानसिक तनाव होने लगता है
- लोगों से गुस्सा होने लगते हैं , चिड़चिड़ापन होने लगता है ।
- सरल चीज भी कठिन हो जाता है
- रिश्तों में दरार आ जाता है
- लोगों से भरोसा उठने लगता है
- बेवजह समय बर्बाद हो जाता है
- कई घंटों या कई दिनों या कई महीनों तक वही दिमाग में घूमते रहता है ।
- इत्यादि
Overthinking के लक्षण
ऊपर दिए नुकसान ही ओवरथिंकिंग के लक्षण है
Overthinking से कैसे बचें
कई overthinker अपने आप को नियंत्रित कर पाते हैं पर कई लोगों को एक ऐसे व्यक्ति की जरूरत होती है जो उसे जरूरत से ज्यादा समझाए उसे ओवरथिंक करने से रोक पाए उसे सामान्य स्थिति में ला पाये। क्योंकि ओवरथिंक करते करते वो स्वयं को तकलीफ देने लग जाते हैं और अपने आप को guilty मानने लगते हैं ।
Overthinking से बचने का तरीका है तो वह है ना सोचना , और ये कैसे होगा ?
जब भी लगे कि आप बहुत ज्यादा सोच रहे हो ( overthink ) जितना नहीं सोचना चाहिए तो आप उससे ध्यान हटाने के लिए तुरंत कुछ अन्य काम करने लग जाओ ताकि ध्यान वहां से हट जाए । यकीन मानिए यह काम करता है
आप क्या क्या कर सकते हो
- यदि घर में हो तो अपने रूम की सफाई कर लो
- घर की बोतलों में पानी भर लो
- गाना सुनने लग जाओ
- हंसी मजाक की वीडियो देख लो
- मूवी देखना पसंद है तो मूवी देख लो
- किसी से बात कर लो
- घर में कोई नही है तो किसी अपने दोस्त को कॉल कर लो
- गाना गाने का शौक है तो गा लो
- पेंटिंग करना पसंद है तो वो करो
- Game खेल सकते हो
- जो जो चीज आपको करने में अच्छा लगता है वो सब करो ।
इन सबके दौरान जिस चीज पे overthink कर रहे थे उसे सोचना ही नही है । फिर देखना आपका मन divert हो चुका होगा । आप नॉर्मल हो चुके होगे । फिर आप खुद कहोगे वो उतनी बड़ी बात भी नही थी ।
Conclusion
ओवरथिंक करना गलत नही है बल्कि उसे नियंत्रित न कर पाना गलत है । ओवरथिंक से बचने का तरीका है तो वह स्वयं को किसी न किसी कार्य में व्यस्त रखना है ताकि आपको किसी और चीज को सोचने का समय ही ना मिले ।