कुछ लड़के ऐसे भी
घर जाने का मन नहीं होता
पिता से नजरें मिलाना नहीं होता
मां कहती है सब ठीक है ना
भोली मां, घात दिखाने नहीं होता ।।
ख्वाहिशें सजा रखी है मैने
उसे किसी को जताने नहीं होता
मुस्कुरा देता हूं अपनों के सामने
दुख किसी को दिखाने नहीं होता ।।
हां सवालों से भागता नहीं हूं मैं
मगर बार बार ज़ख्म खाने नहीं होता
मैं पूछता हूं कौन हो तुम मेरे
हर किसी को जवाब देने नहीं होता ।।
फिलहाल इस हाल में हूं
कि हाल बताने नहीं होता
घर जाने का मन मेरा भी है
मगर खाली हाथ जाने नहीं होता ।।
Kavita By ✍️ – Vidyacharan Tekam
मेरी इन लाइनों को वही समझ पाएगा जो एक मिडिल क्लास फैमिली से आता है , घर से बाहर कहीं दूर किसी शहर में पढ़ाई करता है , जिसके सपने बड़े बड़े हैं , सरकारी नौकरी की तलाश में है । जिस पर घर की जिम्मेदारी है जिस पर परिवार की उम्मीदें टिकी है । जिस पर घर वालों का पूरा विश्वास है कि एक दिन ये हमारे घर की परिस्थिति बदल देगा , हमें गरीबी से अमीरी की ओर लेकर जायेगा , हमारी जीवनशैली बदल देगा ।
मैने इस छोटी कविता का शीर्षक – कुछ लड़के ऐसे भी रखा है क्योंकि हर कोई इसे समझ नहीं पाएगा । क्योंकि हर किसी की घर की परिस्थिति एक सामान नहीं है कुछ लोग ही इन भावनाओं में जीते हैं इसे महसूस कर पाते हैं , उनके साथ यह सब होता है ।
इन भावनाओं को अक्सर मैं लड़कों के साथ होते देखा है । जब मैने उनसे बात किया तो अधिकतर का यही कहना होता है कि घर के लिए कुछ करना है । घर की जिम्मेदारी है । कैसे भी करके नौकरी चाहिए । ऐसे खाली घर में बैठना अच्छा नहीं लगता ।
नौकरी की तलाश के दौड़ में कुछ लड़के ऐसे भी हैं जो अक्सर कहते हैं घर जाने का मन नहीं होता । कारण बस इतना है कि उसके पास नौकरी नहीं है , यदि उसके पास नौकरी होता तो वो खुशी खुशी घर जाता । घर में जवान लड़का हो और वो भी खाली । कुछ काम नहीं करता तो यह चीज किसी को अच्छी नहीं लगती । यह चीज उस लड़के को अंदर से खाए जाती है कि मैं इतना बड़ा हो गया हूं और कुछ नहीं कर पा रहा हूं , मेरे पास कुछ भी नहीं है ।
जब एक नौकरी की तलाश करने वाला परीक्षार्थी बार बार परीक्षा में असफलता का मुख देखता है तो वो अंदर से टूट जाता है । वो खुद से सवाल करता है कहां गलती हो रही है ? गलतियों को सुधारने का प्रयास करता है और फिर मेहनत करता है । और फिर भी निराशा मिले तो उसका संयम भी टूट जाता है ।
ऐसे में वो परीक्षार्थी अपने आप को कोसने लगता है , वो इतना उदास हो जाता है कि वो घर से दूर भागने लगता है । जो घर उसे कभी प्यारा लगता था जहां जाने के लिए उत्साहित होता था वहां जाने का अब मन नहीं होता । इसका कारण यह है – यह सोचना कि घर वाले मुझ पर पैसे खर्च कर रहे हैं और मैं कुछ नहीं कर पा रहा हूं , मेरे कारण ही पैसे खर्च हो रहे हैं तथा उम्मीदों पे खरा ना उतरना , अपने सपनो को पूरा ना कर पाने का कसक , ऐसे और भी कारण हो सकते हैं जिस कारण कुछ लड़के कुछ उम्र के बाद कहते हैं घर जाने का मन नहीं होता ।
बड़े बहादुर होते है ये लड़के जो घर से बाहर रहकर सब कुछ खुद में मैनेज करते हैं । अपनी समस्याओं को खुद से सुलझाते हैं , अपनी परेशानी को घर तक पहुंचने नहीं देते । और जब मां पूछती है ना कि सब ठीक है ना ? तो कहते हैं … हां हां सब ठीक है सब कुछ बढ़िया चल रहा है मैं यहां खुश हूं , तुम अपना ख्याल रखना । कुछ इस तरह होते हैं लड़के जो अपने गमों को छुपा लेते हैं । अपने दुख को घर तक नहीं पहुंचने देते ।
कई लोग , जिनमें रिश्तेदार भी शामिल होते हैं । ये बार बार इन लड़कों को कुरेदने का प्रयास करते हैं उनके मेहनत पर प्रश्न लगते हैं , उनको अन्दर से चोटिल करने का काम करते हैं । जिन पर गुस्सा तो आता है पर कुछ कर नहीं पाते ।
बस अपने आप को यही तसल्ली देते हैं कि ये इनका तो काम ही है दूसरे के काम पर टांग अड़ाना । और ऐसे लोगों से दूर रहने लगते हैं क्योंकि ये लोग वही पूछते हैं जिससे उन्हें दुख होता है । इसलिए वो कई बार यह खुद से कहते हैं कि आखिर ये लगता क्या है मेरा जो हमेशा मेरे पीछे पड़ा रहता है । और ऐसे लोगों से बात ना करना उन्हें जवाब ना देना ही बेहतर समझता है ।
ऐसा नहीं है कि इन्हें घर जाने का मन नहीं होता पर हालात ऐसे होते हैं कि इन्हें घर जाने का मन नहीं होता । उनके अधूरे सपने , पिता की जिम्मेदारी को अपने कंधे पर ना ले पाने का कसक , परिवार की उम्मीद सपनों को पूरा ना कर पाने का मलाल उन्हें घर जाने नहीं देती । और वे बहाना बनाने लगते हैं घर ना जाने की । वे अपने दुखों को खुद अच्छी तरह समझ पाते है ।
यदि आप भी उन लड़कों में से एक हैं जो जीवन में स्थायित्व लाने के लिए संघर्ष कर रहे हैं तो मैं आशा करता हूं कि आपका सपना पूरा हो , आप अपने परिवार के सारे सपनों उम्मीदों को पूरा कर पाओ ।
धन्यवाद 🙏
Big fan sir meet up kab kar rahe
Thankyou 🙏 Gauuravv ji
Bahoot jald milenge aapse