कीमत चुकाई जाएगी ये भी ख्याल था
वो शख़्स दिखावे के हुनर में बाकमाल था
हमने मोहब्बत में बहुत बर्बादियां देखी
हर रात कत्लेआम थी हर दिन बवाल था
ये ज़र्फ़ मेरा है जो वफाओं पे भारी है
लेकिन जुदा होने का भी मुझको मलाल था
हमको तो उसकी बातों से लहज़ा से ईश्क था
उसको लगा इसका सबब हुस्न ओ जमाल था
तू फैसले से मेरे भोले हो खफा लेकिन
तुझे जानना था तुझसे बुरा मेरा हाल था
मोहब्बत कर तो सब लेते है पर उसका कीमत चुकाना आसान नहीं है जिसका मोहब्बत या प्रेम सफल हुआ वो इस बात को नहीं समझ पाएगा । पर जो विरह में है अर्थात अपने प्रेमी या प्रेमिका से अलग है उसके लिए मोहब्बत की जो कीमत है वो वो है उसका सुकून उसकी संतुष्टि क्योंकि प्रेमी या प्रेमिका से जुदा होना संसार के बहुत कठिन परन्तु नियमित घटना है ।
इसलिए शायर ने अपने दुख को पहले नज़्म में बहुत ही आसान भाषा में कहा है
और दूसरे नज़्म में शायर ने कहा है की उसने भी बहुत प्रेम कहानियां देखी और खुद की प्रेम कहानी में भी ये पाया कि प्रेम या मोहब्बत में बर्बादियों की गिनती कम नहीं है बहुत से लोग बहुत कुछ कर सकते थे मगर उन्होंने प्रेम किया और फिर कुछ न कर सके ,जिस प्रेम के लिए वे दीवाना थे उसने ही उसे बर्बाद कर दिया , प्रेम को ना पा सके तो जिंदा लाश की तरह जीवन बिताने लगे ।
परिपक्वता (ज़र्फ़ ) बहुत अहम भूमिका निभाती हैं प्रेम में जो मिडिल क्लास के प्रेमी होते है वो अपने ज़रूरतों को आगे रख कर प्रेम को आखिरी अहमियत देते है परंतु इसका ये मतलब कदापि नहीं है कि उसको प्रेम में रुचि नहीं है अथवा वो प्रेम के लिए सीरियस नहीं है परंतु परिवार और जिम्मेदारी के चलते उसने अपने प्रेम को भुला दिया है प्रेम को कुचल दिया है , बेमन से ही सही पर उसको ये फैसला लेना पड़ा है ।
प्रेम हमेशा से सूरत के अलावा भी बहुत कुछ चीजों पर आश्रित है सूरत अथवा सुंदरता इनमें से आखिरी है । जो प्रेम सूरत से है वो प्रेम नहीं है मोह है और जिस गति से सुरत ढलेगी उसी तीव्रता से उसका मोह भी खत्म हो जाएगा ।
असली प्रेम वही है जो बातों से हो प्रेमिका अथवा प्रेमी के लहजे से हो ।
और आखिर में अपनी सफाई देते हुए शायर कहता है कि तू मेरे उस अलगाव के फैसले से नाराज हो जा परंतु तुझसे ज्यादा इसका दुख मुझे है कि मैं प्रेम को निभा नहीं पाया
शायर को इस बात से दुख है कि वो जिसके साथ हरदम रहना चाहता था उसे उसको छोड़ना पड़ेगा क्योंकि फिलहाल उसके लिए प्रेम से ज़्यादा महत्वपूर्ण है पुरुषार्थ, सरल शब्दों में कहे तो उसकी जिम्मेदारी ।
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यह Gazal प्रेम और जिम्मेदारी के बीच लिए गए फैसले को दर्शाता है ।
यह सच है कि कभी कभी जिम्मेदारी निभाने के लिए हमें अपने प्यार से जुदा होना पड़ता है । लेकिन यह हर बार नहीं होता , यह परिस्थिति हर किसी के लिए समान नहीं होता । ऐसी परिस्थिति किसी के साथ आता है तो किसी के साथ नहीं ।
पर जब भी ऐसी परिस्थिति आती है तो दोनों को प्रभावित करती है इसमें किसी एक को जुदाई नहीं मिलती अपितु दोनों को मिलती है । अक्सर मिडिल क्लास फैमिली का लड़का इससे गुजरता है एक तरफ उसका घर कैरियर सपने होते हैं उसपे घर की उम्मीदें टिकी होती है । तो दूसरी तरफ उसका प्यार । इन दोनों के बीच में परिपक्व व्यक्ति प्यार के ऊपर अपनी जिम्मेदारी को रखता है ।
प्यार सफल हुआ तब तो ठीक नहीं तो दोनों अपनी अपनी जिंदगी बर्बाद करते हैं , वो इसका एक दूसरे पर आरोप लगाते हैं । प्यार में धोखा मिला तो एक खुद को ही इसकी सजा देता है , खुद अपने आप को तड़पाता है । जो कि सही नहीं है किसी और की बेवफाई का सजा भला दूसरा क्यों भुगते ।
प्यार में दीवानापन अच्छा है मगर प्यार में पागलपन बुरा और खतरनाक ।