कोई चीज जरूरी क्यों लगता है

 

आखिर क्यों हमें कोई चीज जरूरी लगने लगता है और बाद में वही गैर जरूरी लगने लगता है । चलो इस सवाल के जवाब पर चर्चा करते हैं । मैं आपको बता दूं यहां इस लेख में हमारे 6 आधारभूत आवश्यकताओं को छोड़कर सभी भौतिक वस्तुओं को कोई चीज कहा गया है ।

Koi chiz jaroori kab lagta hai

आपके साथ ऐसा कभी न कभी जरूर हुआ होगा कि आपने कोई चीज खरीद लिया हो और फिर बाद में आप यह सोचते हैं कि मैं ये क्यों लिया , मुझे इसे नही लेना चाहिए था , यह तो मेरे लिए जरूरी नही है , यह मेरे जरूरत का सामान नही है , ये उतना भी जरूरी नही था ।

जब हम किसी चीज के बारे में सोचते है और सोचते सोचते अत्यधिक सोच लेते हैं तो वह हम पर हावी हो जाता है , वो हमको आभास दिलाता है कि उसके बिना हम अधूरे हैं । वो हमको जरुरी लगने लगता है भले ही वो जरूरी हो या नहीं । जितना हम उस चीज के बारे में सोचेंगे , हम उसके उतने ही करीब चले जायेंगे ।

जब हम किसी चीज के बारे में सोच रहे होते हैं तब भावनाओं में गोते लगा रहे होते हैं , हम उसे लेने के समय उसका तार्किक विश्लेषण नही करते और भावनाओं में बहकर उस चीज को खरीद लेते हैं । और फिर खरीद लेने के कुछ दिन बाद या कुछ पल बाद वो खुशी नही होता जो पहले हुआ था , वो चीज हमारे लिए गैर जरूरी हो जाता है ।

आपने देखा होगा की कई लोग उस चीज के बिना ही खुश रहते हैं पर आप उसके अभाव में बेचैन हो जाते हैं , वो आपको अपनी ओर खींचता है । क्योंकि आप उसके बारे में अधिक सोचने लग जाते हैं , इस तरह वो आप पर हावी हो जाता है । और आप उसके लिए कुछ भी करने के लिए तैयार हो जाते हैं । आप उसकी चकाचौंध में या कहें उसमे इस तरह खो जाते हैं की वो आपको जरूरी लगने लगता है , पर वो उतना जरूरी नहीं होता , बाद में वो व्यर्थ लगने लगता है ।

कभी अगर आप बाजार गए होंगे तो आप इसको जरूर अच्छे से समझ पाओगे । हम घर से जरूर सोचकर जाते हैं की ये सब लेना है । पर जैसे ही बाजार के वातावरण में आ जाते हैं तो उसके चकाचौंध में आप खो से जाते हैं , वहां वो सब चीजें भी दिखाई देगी जिसे आपने सोचा नही था, जिसे आप सोचकर नही आए थे ।

कोई चीज पसंद आ जाए तो आप सोच में पड़ जाते हैं , और यह सोचते हुए कि ये इस चीज में काम आ जायेगा उसे ले लेते हैं । उस समय वह चीज आपको आकर्षित करते रहता है और आप उसे पाने के लिए बहाना बनाते हैं , उस समय वो आप पर हावी होता है, आप उसकी ओर खींचे चले जाते हैं । पर जब आप घर आते हैं , उस बाजार का नशा जब उतरता है , तो वो चीजें जरूरी नहीं लगता जितना बाजार में लगा था ।

ऐसे ही सभी के साथ होता है कि किसी चीज के बारे में अधिक सोचने हैं , तो उसमे खो जाते हैं और वो चीज जरूरी लगता है । उसके आगे पीछे सभी के बारे में सोचने लग जाते हैं । ऐसे में वो हम पर हावी हो जाता है और न चाहते हुए भी वो जरूरी लगने लगता है ।

ऐसा नही है कि आप ऐसा नही करने के बारे में सोचते नही है । आप एक बार गलती करने के बाद यही सोचते हैं कि अगली बार नही खरीदूंगा पर आप फिर भी खरीद लेते हैं । यह सभी के साथ होता है । क्योंकि हम सब का मन चंचल होता है । मन बदलते रहता है , भावनाओं का प्रवाह हमेशा बना रहता है ।

 

कब कोई चीज जरूरी नही लगता

  • जिस चीज को आपने खरीद कर लाया है वह तब आपको गैर जरूरी लगने लगता है जब आपका उस चीज से काम खत्म हो चुका है , जिस चीज को करने के लिए उसे लेकर आए थे वो खत्म हो गया है ।
  • यह उस समय भी गैर जरूरी लगता है जब उसे जिस काम के लिए लाए थे वो उससे हो नही रहा है । जो कल्पना उसे पाने से पहले की थी वैसा ना हो रहा हो तो वो जरूरी नही लगने लगता ।
  • जब दो चीजों की तुलना करते हैं तो भी यह आभास होता है कि कौन सा चीज जरूरी है और कौन सा नही ।
  • जब आप उस चीज के बदले किसी और को प्राथमिकता देते हैं तो भी वह चीज गैर जरूरी लगने लगता है ।
  • जब उस चीज के कारण आपका कोई दूसरा काम रुक जाता है तब भी वह चीज जरूरी नही लगता ।

 

आकर्षण से बचने का उपाय

किसी चीज के आकर्षण से बचने का एक ही उपाय है कि उसके बारे में सोचो ही मत । बस उसे नजरअंदाज कर आगे बढ़ जाओ । सब जिंदगी नॉर्मल लगेगा । किसी का मोह नहीं होगा । जैसा जीवन चल रहा था वैसा ही चलता रहेगा । उसे खुद पर कभी हावी होने न देना ।

जब भी आपको लगेगा ना कि ये मेरे को यह बहुत जरूरी लग रहा है तब आप यह सोचने के बजाय कि इसे कैसे पाऊं आप स्वयं से यह कहना कि कल इसके बारे में सोचता हूं , कल तक का इंतजार कर लेता हूं और अगले दिन देखना कि क्या अब भी वो वैसा ही जरुरी है जो कल लग रहा था , उसके बाद अब सोचना कि करना क्या है ।

मैं ऐसा करने इसलिए कह रहा हूं क्योंकि हम कई बार भावनाओं में बहकर फैसला लेते हैं सोच समझकर नही । जिस समय हम किसी के बारे में सोचते हैं ना तो हम उसके भावनाओं में लीन हो जाते हैं और वो जरुरी लगता है ।

अब जब भी आपको लगेगा ना कि ये चीज मेरे लिए जरूरी है इसे लेना चाहिए तो थोड़ा वक्त लेकर दुबारा वही सोचना , तार्किक रूप से सोचना , उसका उपयोगिता का सोचना । उसके बाद लेना है या नही इस निष्कर्ष पर आना ।

मेरा मानना है कि हमे खुद पर अटल रहना है या कहें तो सख्त रहना है किसी के प्रभाव में विचलित नही होना है और कम सोचकर अच्छा फैसला लेना है । ज्यादा सोचने से बनने वाला काम भी बिगड़ जाता है ।

 

धन्यवाद 

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