आदत मोहब्बत ( Mohabbat ) की हो या फिर सिगरेट की दोनों नहीं छूटती और दोनों जी जलाती है । और दोनों वफ़ा की निशानी है दोनों निगलती जवानी है । आपके लिए पेश है Gazal by – bhole bhupesh

ज़माने ने भी मुझको कहीं का नहीं छोड़ा
मैंने भी आखिर तक तेरा पीछा नहीं छोड़ा ।
काटें ही मिले अब तक मगर फूल की चाह में
इस दिल ने मुहब्बत का रास्ता नहीं छोड़ा ।
डूबती रही नैय्या मेरी मझधार में लेकिन
कश्ती नहीं छोड़ी मैने दरिया नहीं छोड़ा ।
रोती रही मेरे लिए तू चीख चीखकर
फिर भी तूने उस शख़्स का कंधा नहीं छोड़ा ।
तू चली गई एक रोज नजर के सामने से
पर ख़्वाब में आने जाने का धंधा नहीं छोड़ा ।
मैने भी तेरी याद में सिगरेट नहीं छोड़ी
तूने भी मेरे याद में वफ़ा नहीं छोड़ा ।
पिता कह रहे बेटे की शादी करनी है लेकिन
बेटे ने उसके नाम से पीना नहीं छोड़ा ।
Gazal By – bhole_bhupesh
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मोहब्बत ( mohabbat )…. क्या मतलब है इस शब्द का , किसी शब्द का रुतबा इतना कैसे हो सकता है कि लाखों गजल मिल के भी उस को परिभाषित न कर सके। इश्क mohabbat इन जैसे शब्दों के पीछे इनके रुतबे के पीछे न जाने कितने मीर हुए जॉन हुए कितने लैला हुए मजनू हुए।
इतने लोगों की जान लेकर भी ये मुहब्बत प्यासी है ,ये कैसी बला है भोले, जो सारे जहां को झुकाने की ताकत रखती है ।
मेरी राय में मैं इसे वफ़ा या loyalty कहना गलत नहीं होगा, क्योंकि मुहब्बत या इश्क को समझने से पहले loyalty अथवा वफ़ा की सीधी चढ़कर जाना मुझको अनिवार्य लगता है।
इसी वफ़ा को मैने चंद मिसरे में उकेरने की गुस्ताखी की है।
जब घर का जवान बेटा जिसका उम्र शादी की दहलीज लांघने को है, जिसके उम्र के नौजवान अय्याशी और भोगविलास में अपना दिनचर्या काटते है। ऐसे उम्र के पड़ाव में कुछ लोग है कुछ बेटे है कुछ आशिक है जो अपनी जिम्मेदारी निभाने के लिए और अपने एक मुहब्बत को पाने के लिए या कहा जाए भुलाने के लिए जमीन आसमान एक कर रहे होते है।
क्योंकि शादी तो करनी है परंतु वो जो एक शख्स है भुलाया नहीं जा रहा है उसका वो क्या करे कैसे उसको भूल कर जीवन फिर से शुरू करे, जितना आसान mohabbat करना होता है उससे मुश्किल है उसको निभाना और पता है उस भी मुश्किल क्या है उसको भुला कर आगे बढ़ना।
The hardest of the hardest thing is to move on.
और इन सब के बीच जिम्मेदारी और उसमें भी उसकी mohabbat का बार बार उसके पास आना और फिर चले जाना।
एक जगह इस बात का ज़िक्र भी हुआ है कि मैं तुम्हारी याद में सिगरेट नहीं छोड़ पा रहा हु पर तुम मेरी याद में गैरो से वफ़ा करना नहीं छोड़ रहे हो।
मतलब वो रोती तो है उस शख्स के लिए लेकिन अफसोस कंधा किसी और का होता है सहारा कोई और बनता है । मतलब दुख तो है पर विडंबना देखिए उस दुख में कोई और है उसके साथ कोई और उसको कंधा दे रहा है
अब बताइए ऐसे में लड़के move on करे तो करे कैसे ?
ऐसे हालात में बहुत मुश्किल होता है किसी भी नौजवान के लिए, जो जवानी उसे जीनी थी उसे वो काट रहा है वो दुनियादारी से भाग रहा है शादी से भाग रहा है।
जैसे शमा को चाहने में परवाना खाक हो जाता है , वैसे ही ऐसे आशिक़ या तो अपनी mohabbat को हासिल कर लेते है या फिर उसी की याद में फना हो जाते है।
ऐसे आशिकों को दो ही चीज सुझती है शहादत या मोहब्बत…..
मगर ऐसे मिजाज़ के लोग ढीठ भी बहुत होते है जिम्मेदारी भी निभाएंगे और mohabbat भी चाहे इन सब के बीच हम खुद खत्म हो जाए।
भले ही नैय्या डूबती रहे मझधार में मगर जब कश्ती से इश्क किया है तो या तो उसको साथ लेकर किनारे तक जाएंगे या फिर उसके साथ ही डूब जाएंगे।
ऐसे लड़कों की ख़ुद्दारी और ढीठपन को मैने इस Gazal के माध्यम से आप सबको समझाने का प्रयास किया है।
बाकी आप Gazal पढ़कर खुद ब खुद समझ जाएंगे।
धन्यवाद🙏
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